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जलचिकित्सा अनेक रोगों की चिकित्सा करने की एक निश्चित पद्धति है, जिसमें शीतल तथा उष्ण जल का बाह्याभ्यंतर प्रयोग सर्वश्रेष्ठ औषधि होती है I
प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी का प्रयोग कई रोगों के निवारण में प्राचीन काल से ही होता आया है। नई वैज्ञानिक शोध में यह प्रमाणित हो चुका है कि मिट्टी चिकित्सा की शरीर को तरो ताजा करने जीवंत और उर्जावान बनाने में महती उपयोगिता है।
वायु चिकित्सा मानव शरीर में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और शरीर में प्राकृतिक शक्ति को पुनर्स्थापित करती है। इसके अलावा, व्यायाम और ठंडी रगड़ के साथ इसे मिलाकर वायु स्नान अधिक प्रभावी हो जाता है।
आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है| आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।
होम्योपैथी का उपयोग स्वास्थ्य की एक अत्यंत विस्तृत श्रृंखला के लिए किया जाता है। कई चिकित्सकों का मानना है कि होम्योपैथी किसी भी स्थिति में मदद कर सकती है। होम्योपैथी पुरानी और असाध्य बीमारियों के लिए सबसे अच्छा इलाज माना जाता है।
सूर्य और सूर्य किरण द्वारा की गई सभी प्रकार की चिकित्सा सूर्य चिकित्सा कहलाती है, इसे हम क्रोमोथैरेपी भी कहते हैं, इससे हम जटिल से जटिल बीमारियों को आसानी से ठीक करने में मदद मिलती है I
आकाश चिकित्सा शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है इसका मूल उद्देश्य उपवास होता है उपवास से मोटापा घुटने का दर्द तथा बहुत सारे पेट की बीमारियों में आराम मिलता है I
योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। 'योग' शब्द तथा इसकी प्रक्रिया और धारणा हिन्दू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बन्धित है।
लक्षण :- कमर का दर्द (Back Pain) ज्यादातर मध्यभाग या निचले भाग में होता है। कमर के निचले भाग में होने वाले दर्द को लोवर स्पोन्डलाईसिस (Lower Spondylosis) भी कहा जाता है। कारण :- बैठने, उठने लेटने या चलने में सही स्थिति (Posture) की कमी, ऊँची एँड़ी की चप्पल या जूते पहनना, आलस्य पूर्ण जीवन, माहवारी में गड़बड़ी, पोषक तत्वों…
अधिक पढ़ेपेशाब के साथ जब चीनी जैसा मधुर पदार्थ निकले एवं रक्त में शकंग की मात्रा बढ़ जाये तो उसे मधुमेह कहते हैं। यह रोग धीरे धीरे होता है। वर्षों तक रोगी को इसका पता भी नहीं लगता। मधुमेह को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान द्वारा जीवन भर चलने वाला रोग माना जाता है। किन्तु प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा इसे शीघ्र नियंत्रण में लाया…
अधिक पढ़ेप्रभावित स्थानों के आधार पर गठिया की 100 से भी अधिक किस्मों नीचे दी गई किस्में अधिक पाई जाती हैं। (1) ऑस्टियो आर्थराईटिस (Osteo Arthritis) :- यह आयु बढ़ने के साथ-साथ होने वाला एक सामान्य रोग है जो जोड़ों में उपास्थियों (Cartilage) के घिस जाने के कारण होता है। इसमें आमतौर पर घुटने, नितम्ब (Hip) रीढ़ की हड्डी (Vertebral Column)…
अधिक पढ़ेथायराईड रोग (Thyroid Disease ) थाइराईड वह अंतःस्रावी ग्रन्थि (Endrocrine Gland) है जो शरीर के दैनिक कार्य-कलाप को नियंत्रित करती है। थायराईड रोग महिलाओं में अधिक पाया जाता है। यौवन प्रवेश के समय (Puberty), गर्भावस्था के दौरान, रजोनिवृत्ति के समय या शारीरिक तनाव के समय यह ज्यादा प्रभावित करता है। थाइराईड के रोग निम्न प्रकार है : लक्षण :- एकाग्रता-शक्ति…
अधिक पढ़ेपथरी तो वास्तव में विजातीय द्रव्य कणों का समूह है। यह शरीर के विभिन्न स्थानों पर हो सकती है। यह छोटी बड़ी अनेक एवं विभिन्न आकृतियों की हो सकती है। (1) पित्ताशय की पथरी (Stone of Gall Bladder) यह पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पाई जाती है। लक्षण :- प्रारम्भिक अवस्था में प्राय: अरुचि और अपच के लक्षण होते…
अधिक पढ़ेलक्षण :- छोटी और बड़ी आँत जहाँ मिलती है, वहीं उसी के जो आंत्रपुच्छ (Appendix ) होती है उसमें सूजन आ जाती है। पेट के दाहिनी तरफ जोर का दर्द होता है तथा उसी जगह पर गांठ की तरह फूलकर कड़ा हो जाता है। इस स्थान पर थोड़ा-सा भी दबाने से बहुत तेज दर्द होता है। इसमें उल्टी, उल्टी का…
अधिक पढ़ेलक्षण :- त्वचा में चुभन, खुजली, दाने, दाफड़ या चकते पड़ना, आँखे लाल होना, नाक का बहना, घबराहट, बैचेनी, अधिक छींक आना, नाक में खुजली, नाक से अधिक स्राव, खाँसी, साँस लेने में कष्ट, सिर दर्द, आधा सिर दर्द इत्यादि। एलर्जी कई अन्य बीमारियों (मधुमेह, डिप्रेशन, हृदयरोग, अल्सर, दमा एक्जिमा इत्यादि) की जननी है। कारण : एलर्जी रोग निरोधक शक्ति…
अधिक पढ़ेकारण :- असंतुलित आहार, विटामिन बी एवं प्राकृतिक लवणों लौह एवं आयोडिन इत्यादि की कमी, चिंता, तनाव, मानसिक आघात, अन्य लंबे रोग (टाइफाइड, सीफलीश, जुकाम, नजला, साइनस, रक्तहीनता, कैंसर इत्यादि) खोपड़ी की ठीक से सफाई न रखना, वंशानुगत, सिर पर रक्त संचालन में कमी, हारमोन का अंसतुलन, शैम्पू, साबुन इत्यादि के हानिकारक रसायनों की मौजूदगी, हेयर डायर्स का अधिक प्रयोग,…
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