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मधुमेह, शुगर (diabetes ayurvedic treatment)

मधुमेह, शुगर (diabetes ayurvedic treatment)

पेशाब के साथ जब चीनी जैसा मधुर पदार्थ निकले एवं रक्त में शकंग की मात्रा बढ़ जाये तो उसे मधुमेह कहते हैं। यह रोग धीरे धीरे होता है। वर्षों तक रोगी को इसका पता भी नहीं लगता। मधुमेह को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान द्वारा जीवन भर चलने वाला रोग माना जाता है। किन्तु प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा इसे शीघ्र नियंत्रण में लाया जा सकता है।

लक्षण :- पेशाब एवं रक्त में सामान्य से अधिक शर्करा होना, सूत्र गाढ़ा एवं चिपचिपा हो जाना, बार बार पेशाब आना, पेशाब पर चाटी आना. अधिक भूख एवं प्यास लगना, त्वचा खुश्क, थकान एवं दुर्बलता घाव भरने में विलम्ब होना, शरीर में खुजली होना, आलस्य, सिरदर्द, चिडचिड़ापन इत्यादि । का अनुभव,

कारण :- शारीरिक श्रम का अभाव, मानसिक श्रम की अधिकता, अधिक भारी, चिकने तथा मीठे पदार्थों का निरंतर सेवन, अधिक मोटापा, अपच, चिन्ता, उत्तेजना, अधिक मद्यपान या नशीली वस्तुओं का सेवन कब्ज, आनुवांशिक (Hereditary), अनियमित दिनचर्या, असंतुलित खान पान, मानसिक तनाव इत्यादि ।

चेतावनी :- मधुमेह के रोगियों को उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, गैंगरीन,

आँखों की रोशनी का कम होना, कम सुनाई देना, गुर्दे के रोग, लकवा इत्यादि

होने की आशंका रहती है। इसलिए उन्हें लापरवाही नहीं करनी चाहिए।

मधुमेह दो प्रकार का होता है

(1) प्रकार-I-इन्सुलिन आश्रित मधुमेह ।

(2) प्रकार-II – बिना इन्सुलिन आश्रिम मधुमेह ।

उपचार :- आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इंसुलीन का प्रयोग मधुमेह की वास्तविक चिकित्सा नहीं है, बल्कि मधुमेह पर नियंत्रण रखने का एक साधन मात्र है।

रोग से बचने एवं रोग मुक्ति के लिए सर्वोत्तम प्राकृतिक आहार ही है। फल (मौसमी, संतरा, सेव, नाशपाती, पपीता, तरबूज, खरबूजा, अमरूद, अनानास इत्यादि), सलाद (गाजर, मूली, शलजम, खीरा, ककड़ी, पालक, पोदीना, मैथी, धनियां, पत्तागोभी, फलियाँ, शिमला मिर्च इत्यादि), अंकुरित (मूँग, मोठ, चना इत्यादि), फलों का रस, सब्जियों का रस इत्यादि लें। प्यास अधिक होने पर नींबू का पानी या नारियल पानी लें।

ताजे आँवले के रस या सूखे आँवले के चूर्ण में हल्दी का चूर्ण मिलाकर लेने से बहुत लाभ होता है। जामुन के मौसम में जामुन अवश्य खायें अथवा आधा चम्मच जामुन की

गुठली का चूर्ण शाम को पानी के साथ लें। 15 ग्राम करेले का रस 100 ग्राम पानी में मिलाकर नित्य तीन बार लगभग तीन महीने तक पीना चाहिए। गेहूँ का जवारा पीने से मधुमेह में बहुत लाभ होता है। एक चम्मच मेथी को भिगोकर उसे खायें तथा उसका पानी भी पीयें या मेथी का पाउडर बनाकर एक चम्मच प्रतिदिन लें। दूध का सेवन कम करके छाछ का सेवन अधिक करें। 250 ग्राम भिंडी दो फाँक करके रात भर पानी में डुबोकर रखें, प्रातः उस पानी को पी लें तथा भिंडी फेंक दें। यह प्रयोग एक सप्ताह तक करें।

नित्य प्रातः पाँच-दस बेलपत्ती या सदाबहार की पत्ती या जामुन की पत्ती या नीम की पत्ती खाना भी इसकी रामबाण औषधि है। तुलसी की पत्तियाँ नियमित सेवन की जायें तो रक्तशर्करा कम हो जाती है।

प्रातः कम-से-कम दो गिलास पानी पीयें एवं प्रतिदिन दो अंजीर खायें। गेहूँ 25%, जौ 25%, मूंग 10%, बाजरा 10%, फाफर (कुट्टू) 10% चना 10%, सोयाबीन 5% एवं मक्का 5% के मिश्रण के आटे की रोटी खायें। खुले बदन धूप सेवन करें। नारंगी बोतल में सूर्य किरणों से तृप्त किया गया जल भोजन के थोड़ी देर बाद लें।

पेट पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, कटिस्नान, मेहनस्नान, पेट पर गर्म-ठंडा

सेक बहुत लाभदायक है। प्रातः शुद्ध वायु में चार-पांच किलोमीटर तेजी से टहलना एवं हल्की

दौड, 50-100 बार खुली हवा में गहरी साँस कुंजल, जलनेति, धौती इत्यादि षटकर्म उपयोगी है।

सूर्यभेदी, भस्त्रिका, कपालभाति एवं नाड़ी शोधन प्राणायाम, उड्डीयानबंध , महामुद्रा, श्वास प्रश्वास की क्रिया, अर्द्धमत्स्येन्द्रासन, मयूरासन, मत्स्यासन, नौकासन, हलासन, पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन, चक्रासन, धनुरासन, मण्डुकासन, कुर्मासन, जानुशीर्षासन, उर्ध्वहस्तोतानासन, पादहस्तासन, कटिचक्रासन, त्रिबन्धासन, गर्भासन, भूनमनासन, उत्तानपादासन एवं सूर्यनमस्कार लाभकारी है। अग्निसार क्रिया करें।

हानिकारक भोजन : चीनी, आइसक्रीम, मिठाईयाँ इत्यादि, घी, मक्खन, कोल्ड ड्रिंक्स, तली चीजें, माँसाहार, शराब, शुगर फ्री गोलियाँ, मैदे से बनी चीजें।

नोट :- इन्सुलिन लेने की आदत को एकदम बन्द न करें।

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चेतावनी: आयुर्वेदाचार्य अथवा डॉक्टर के परामर्श के बिना आप साइट पर दिए हुए सूचना को पढ़कर किसी भी प्रकार की औषधि एवं उपचार का प्रयोग ना करें !!!

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