हकलाना – तुतलाना (Stammering-Lisping)

बोलते समय कुछ अक्षरों को ठीक तरह से उच्चारण न कर पाना तुतलाना है। कई बार तो हकलाहट जरा-सी होती है जो धीरे-धीरे स्वयं दूर हो जाती है परंतु कुछ मामलों में जब यह पुरानी हो जाती है तो हकलाहट की अवधि भी बढ़ जाती है।

कारण :- • बोलने में काम आने वाली पेशियों एवं स्नायुओं का नियंत्रण दोषपूर्ण होने से शब्दोच्चारण में अवरोध हो जाता है जो बार-बार होत है। जीभ और होठों की आवश्यक गतिशीलता जो बोलने में होती है कठिनाई से पूरी होती है एवं साथ ही स्वरयंत्र में आवाज पैदा हो जाती है जिससे तुतलाना पड़ता है। यह कठिनाई व्यक्तिगत रूप से कुछ ही शब्दों में होती है। उपचार :- बच्चों का हकलाना व तुतलाना आँवला चबाने से ठीक हो जाता है। जीभ पतली होकर बोली साफ़ आने लगती है।

नित्य दस बादाम भिगोकर छीलकर, पीसकर मक्खन मिश्री के साथ मिलाकर खिलाने से तुतलाना, हकलाना ठीक हो जाता है। प्रतिदिन दस बादाम की गिरी, दस कालीमिर्च दोनों को कसकर

मिश्री मिलाकर चाटने से भी तुतलाना व हकलाना ठीक हो जाता है।

प्रतिदिन आँवले का चूर्ण गाय के घी के साथ मिलाकर चाटने से भी

तुतलाना, हकलाना दूर हो जाता है। प्रतिदिन छुआरा दूध में उबालकर खायें तथा

वह दूध पी लें। उसके दो घंटे बाद तक कुछ न लें। इससे आवाज बिलकुल

साफ हो जायेगी। शहद में काली मिर्च मिलाकर चाटें।।

भूनी हुई फिटकरी मुँह में रखकर सो जाया करें। एक मास बाद तुतलाना हकलाना दूर हो जायेगा।

भोजन के बाद मुँह में लौंग तथा छोटी इलायची रखें। जीभ को प्रतिदिन

साफ करें। कब्ज न होने दें।

मन में भय की भावना बिल्कुल निकाल देनी चाहिए तथा मन को सबल बनाना चाहिए। रातभर शंख में रखा पानी पिलायें आशातीत सफलता प्राप्त होती है। मौसम के अनुसार जो फल उपलब्ध हों, उनका अधिक-से- अधिक सेवन करें।

एनिमा, कुंजल, सूत्रनेति, जलनेति करें। सिंहासन, धनुरासन, उष्ट्रासन, हलासन, मण्डूकासन, मत्स्यासन, सुतन जानुशीर्षासन तथा खेचरी मुद्रा करें।

चेतावनी: आयुर्वेदाचार्य अथवा डॉक्टर के परामर्श के बिना आप साइट पर दिए हुए सूचना को पढ़कर किसी भी प्रकार की औषधि एवं उपचार का प्रयोग ना करें !!!

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