दमा (Asthma)
सूक्ष्म श्वास नलियों में विकारों के भर जाने से साँस लेने में कठिनाई व खाँसी होने को दमा कहते हैं। यह केवल प्राकृतिक चिकित्सा से दूर होता है।
लक्षण :- दमा की शुरुआत खाँसी, सरसराहट और सांस उखड़ने के दौरे के रूप में होती है। सामान्यतः दमा का वेग रात को दो बजे के बाद होता है। किंतु कभी-कभी यह अन्य समयों पर भी हो सकता है। कफ सख्त, बदबूदार एवं डोरी की भाँति निकलता है।
दमा दो प्रकार का होता है
(1) फेफड़ों से संबंधित दमा (Bronchial Asthma ) इसमें श्वास
नलिकायें सिकुड़ जाती है, साँस कठिनाई से आता है।
(2) हृदय से संबंधित दमा (Cardiac Asthma) – इसमें हृदय की दुर्बलता आती है जिसके कारण हृदय पर्याप्त मात्रा में रक्त परिसंचरण नहीं कर पाता है, अतः आक्सीजन कम मात्रा में मिलता है। साँस खींचने से रोगी का चेहरा लाल हो जाता है। यह पुरुषों में अधिक पाया जाता है।
कारण :- श्वास नली में औषधियों द्वारा सुखाया गया कफ,
गलत
आहर विहार, अशुद्ध वायु, मानसिक तनाव, भय, क्रोध, रक्तदोष, मादक पदार्थों
का सेवन, खांसी, जुकाम, नजला में सम्भोग, हँस-हँस कर खाना, गरिष्ठ
भोजन, मिर्च मसाले, तले-भुने खाद्य पदार्थों का प्रयोग, धूल इत्यादि।
उपचार :- एक दिन नींबू शहद के पानी पर उपवास, एक सप्ताह फलों के रस अथवा हरी सब्जियों के रस एवं सूप पर रहें। नारियल पानी, सफेद पेठा रस, पत्ता गोभी रस, गाजर एवं चुकंदर रस, अंगूर का रस, दूब का रस एवं गेहूँ के जवारे का रस अति उत्तम है। फिर दो सप्ताह अपक्वाहार (केवल फल, सलाद, अंकुरित इत्यादि) पर रहें। उसके बाद सामान्य आहार पर आ जायें एवं गरिष्ठ भोजन से दूर रहें। मेथी भिगोकर खायें तथा उसका पानी थोड़ा शहद मिलाकर पियें। दूध या दूध से बने पदार्थ न लें।
यदि आवश्यक हो तो सोयाबीन या तिलों का दूध ले सकते हैं। तुलसी और अदरक का रस शहद मिलाकर लें। एक चम्मच त्रिफला नींबू पानी के साथ लें। एक कप गर्म पानी में शहद डालकर पियें।
दमे के रोगी को रात का भोजन जल्दी कर लेना चाहिए तथा रात को गर्म पानी पीकर सोना चाहिए। अजवायन के पानी की भाप लें। पेट पर मिट्टी पट्टी, एनीमा, छाती लपेट एवं भाप स्नान बहुत ही उपयोगी है। रीढ़ की हड्डी की मालिश करें। छाती के पीछे कमर पर सरसों के तेल में कपूर डालकर मालिश करें। गर्म लेकिन हवादार कमरे में आराम करें जब दमे का जोर हो तो जो स्वर (श्वास) चल रहा हो, उसे बदल लें
तथा गर्म पाँव स्नान लें। नाड़ी शोधन, कपालभाति, बिना कुम्भक के प्राणायाम, उड्डीयान बंध, महामुद्रा, श्वास, प्रश्वास, गोमुखासन, मत्स्यासन, उत्तानमन्डूकासन, उत्तान कूर्मासन, ताड़ासन, अश्वस्थासन, चक्रासन, शलभासन, मकरासन, योगमुद्रासन,
भुजंगासन, धनुरासन आदि करें।
चेतावनी: आयुर्वेदाचार्य अथवा डॉक्टर के परामर्श के बिना आप साइट पर दिए हुए सूचना को पढ़कर किसी भी प्रकार की औषधि एवं उपचार का प्रयोग ना करें !!!
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