मृगी (Epilepsy)

लक्षण :- अचानक शरीर में खिंचाव होकर हाथ-पाँव अकड़ जाते हैं। रोगी बेहोश होकर जमीन पर गिर जाता है। हाथ-पैर मुड जाते हैं, गर्दन रेही हो जाती है। आँखे फटी-फटी दिखाई देती है। पलकें स्थिर हो जाती हैं। मुख से झाग निकलता है। जबड़े कस कर बन्द हो जाते हैं। जीभ बाहर निकल जाती है। ऐसे में दाँतों के नीचे जीभ कटने का भी डर रहता है। रोगी अनजाने में मूत्र तथा मल भी त्याग सकता है। शरीर थर-थर काँपता है। यह दौरा कुछ मिनट से लेकर दो-तीन घंटे या अधिक समय का भी हो सकता है। दौरे के बाद गहरी नींद आ जाती है।

यह रोग बाल्यावस्था से युवावस्था तक ज्यादा रहता है, फिर धीरे-धीरे शान्त होता चला जाता है। कभी-कभी यह रोग आजीवन भी चलता रहता है। ज्यों-ज्यों रोग बढ़ता जाता है, रोगी की मानसिक स्थिति भी वैसे ही बिगड़ती चली जाती है तथा स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है।

कारण :- गलत आहार विहार इत्यादि से शरीर में विषैले पदार्थों का जमा होकर मस्तिष्क के कोषों पर दबाब बनना, अत्यधिक तम्बाकू या शराब का सेवन, पेट या आँतों में कृमिविकार, जीर्ण कब्ज, महिलाओं में मासिक धर्म सम्बंधी विकार, स्नायु सबंधी रोग, दिमाग में ट्यूमर, सिर में चोट लगना, अत्यधिक शारीरिक या मानसिक श्रम, मानसिक तनाव, संक्रामक ज्वर इत्यादि । यदि माता पिता दोनों मृगी के रोगी या नशेबाज हों तो सन्तान को भी यह रोग होने की संभावना रहती है।

उपचार :- आरम्भ कम-से-कम दो मास तक केवल फलों और तरकारियों एवं अंकुरित अन्न पर रहें तथा केवल फलों एवं सब्जियों के र पर साप्ताहिक उपवास करें।

प्रातः सायं गुनगुने पानी से त्रिफला लें। सोयाबीन का दूध लें तथा कच्ची हरी पत्तेदार सब्जियाँ खायें।

पेट तथा माथे मिट्टी की पट्टी लें एवं एनीमा करें। प्रतिदिन कटिस्नान, मेहन स्नान, ठंड़ा रीढ़ स्नान तथा जलनेति करें। सप्ताह में एक बार गीली चादर लपेट लें। पानी खूब पीयें।

आसमानी रंग का सूर्यतप्त जल दिन में पाँच-छः बार पीयें तथा उसी। पानी से भीगी पट्टी माथे पर रखें तथा सूखने पर ही हटायें तथा सिर में आसमानी रंग का सूर्यतप्त तेल लगायें।

भरपूर नींद अवश्य लें।

इस रोग में ध्यान बहुत ही उपयोगी है।

दौरे के समय मुँह में रूमाल दे दें ताकि जीभ न कट सकें।

दौरे के समय अपने अँगूठे के नाखून को रोगी के अंगूठे के नाखून डालकर दबाने से मूर्च्छा दूर हो जाती है। पानी के छींटे भी उसके मुँह पर मारने से मूर्च्छा दूर हो जाती है।

चेतावनी: आयुर्वेदाचार्य अथवा डॉक्टर के परामर्श के बिना आप साइट पर दिए हुए सूचना को पढ़कर किसी भी प्रकार की औषधि एवं उपचार का प्रयोग ना करें !!!

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