दुबलापन (Thinness)
लक्षण :- तीस वर्ष की आयु से पहले यदि वजन सामान्य से कम हैं तो वह दुबलापन ही है। ऐसे व्यक्ति बहुत जल्दी थक जाते हैं तथा उनकी रोगप्रतिरोधक शक्ति भी कमजोर होती है। ऐसे व्यक्ति क्षयरोग, साँस के रोग, निमोनिया, हृदयरोग, गुर्दे के रोग, टायफाइड एवं कैंसर के जल्दी शिकार होते हैं। दुबली गर्भवती महिलाओं में कुपोषण की समस्यायें हो जाती हैं।
कारण :- पाचन एवं अवशोषण (Absorption) समस्या, कुपोषण, मानसिक एवं भावनात्मक तनाव, चिन्ता, हार्मोन का असंतुलन, चयापचय क्रिया (Metabolism) में गड़बड़ी, बहुत अधिक या बहुत कम व्यायाम, आँ में टेपवोर्म (Tape worm) इत्यादि कृमियों का होना, पुराने दस्त या कब्ज मधुमेह, क्षय, अनिद्रा, जिगर (Liver) की खराबी इत्यादि अन्य रोग। उपचार ज्यादा खाकर वजन बढ़ाने की कोशिश करना बेकार है।
इससे तो और दुबलापन बढ़ सकता है। सबसे पहले पाचन क्रिया को उन्नत
करना आवश्यक है। इसके लिये आवश्यकतानुसार कुछ दिन उपवास करना
आवश्यक है। उसके बाद कुछ दिन प्राकृतिक भोजन (फल, सलाद, अंकुरित
इत्यादि) जिसमें दूध, केला, भिगोये हुए खजूर, पका हुआ आम, किशमिश
इत्यादि भरपूर मात्रा में हों। उसके बाद संतुलित सामान्य आहार लें जिसमें फल
सलाद का भरपूर समावेश रहे लेकिन भूख से अधिक बिल्कुल न खायें।
प्रतिदिन 100 ग्राम हरे पत्ते (पालक, पत्तागोभी, बथुआ, धनिया, पुदीना मूली के पत्ते इत्यादि) अवश्य खायें। दूब का रस व नारियल पानी लें। शह का उपयोग करें।
नियमित 50 ग्राम पालक का रस, 100 ग्राम गाजर का रस, 50 ग्रा चुकन्दर का रस मिलाकर पीने से शारीरिक निबर्लता नष्ट होती है।
एनिमा, कटिस्नान, नित्य प्रति पर्याप्त व्यायाम, योगमुद्रासन, सर्वागास
हलासन, मत्स्यासन, प्राणायाम महाबन्ध लाभ करता है। ध्यान लगायें, इससे तनाव दूर होकर आंतरिक शक्ति बढ़ेगी।
चेतावनी: आयुर्वेदाचार्य अथवा डॉक्टर के परामर्श के बिना आप साइट पर दिए हुए सूचना को पढ़कर किसी भी प्रकार की औषधि एवं उपचार का प्रयोग ना करें !!!
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